बुधवार, 25 अप्रैल 2018

हिन्दू देवी-देवता और उनकी सवारी ; Hindu God-Goddess and their vehicles



भगवान विष्णु गरुड़ की सवारी करते हैं, तो भगवान शिव का वाहन है नंदी एक वृषभ या बैल ,  माँ लक्ष्मी का वाहन उल्लू है, तो माँ दुर्गा सिंह की सवारी करती है, ठीक इसी प्रकार हमारे हिन्दू धर्म में सभी देवी देवताओं का कोई न कोई वाहन अवश्य हैये तो आपको पता ही होगा, लेकिन क्या कभी आपने सोचा है, कि सर्वशक्तिमान परमात्मा को भी वाहन की आवश्यकता क्यों पड़ी, जबकि वे अपनी दैवीय शक्ति के बल पर पलक झपकते ही एक स्थान से दुसरे स्थान पहुँच सकते हैंमित्रों इसके पीछे कुछ आध्यात्मिक, व्यावहारिक एवं वैज्ञानिक कारण हैं आइये जानते हैं। 

1) विष्णु और गरुड़ : 

गरुड़ प्रतीक है दिव्य शक्तियों और अधिकार का, भगवद् गीता में कहा गया है कि भगवान विष्णु में ही सारा संसार समाया है, सुनहरे रंग का बड़े आकार का यह पक्षी भी इसी ओर संकेत करता है, भगवान विष्णु की दिव्यता और अधिकार क्षमता के लिए यह सबसे सही प्रतीक है। 

2) शिव और नंदी : 


शिव भोलेभाले सीधे चलने वाले लेकिन कभी-कभी भयंकर क्रोध करने वाले देवता हैं तो उनका वाहन हैं नंदी यानी बैल, यह शक्ति, आस्था व भरोसे का प्रतीक होता है। इसके अतिरिक्त भगवान शिव का चरित्र मोह माया और भौतिक इच्छाओं से परे रहने वाला बताया गया है, बैल यानी नंदी इन विशेषताओं को पूरी तरह चरितार्थ करते हैं, और इसलिए शिव के वाहन हैं। 

3) माँ दुर्गा और सिंह :


दुर्गा तेज, शक्ति और सामर्थ्‍य की प्रतीक हैं तो उनके साथ सिंह है, शेर प्रतीक है आक्रामकता और शौर्य का।  यह तीनों विशेषताएं मां दुर्गा के आचरण में भी देखने को मिलती है, यह भी रोचक है कि शेर की दहाड़ को मां दुर्गा की ध्वनि ही माना जाता है जिसके आगे संसार की बाकी सभी आवाजें कमजोर लगती हैं। 

4) माँ लक्ष्मी और उल्लू :


मां लक्ष्मी के वाहन उल्लू को सबसे अजीब चयन माना जाता है, कहा जाता है कि उल्लू ठीक से देख नहीं पाता, लेकिन ऐसा सिर्फ दिन के समय होता है, उल्लू शुभ समय और धन-संपत्ति के प्रतीक होते हैं। 


5) ब्रह्मदेव और हंस : 


सृष्टि के रचयिता और पालनकर्ता ब्रह्मदेव का वाहन हंस है जो उनके ऐश्‍वर्य और बुद्धिमता का प्रतीक है। 

6) माँ सरस्वती और हंस :

हंस को पवित्रता और जिज्ञासा का प्रतीक माना गया है जो ज्ञान की देवी मां सरस्वती के लिए सबसे बेहतर वाहन है।  मां सरस्वती का हंस पर विराजमान होना यह बताता है कि ज्ञान से ही जिज्ञासा को शांत किया जा सकता है और पवित्रता को जस का तस रखा जा सकता है। 

7) गणेश और मूषक :

गणेश जी का वाहन है मूषक,  मूषक शब्द संस्कृत के मूष से बना है जिसका अर्थ है लूटना या चुराना। सांकेतिक रूप से मनुष्य का दिमाग चुराने वाले यानी चूहे जैसा ही होता है, यह स्वार्थ भाव से घिरा होता है, गणेश जी का चूहे पर बैठना इस बात का संकेत है कि उन्होंने स्वार्थ पर विजय पाई है और जनकल्याण के भाव को अपने भीतर जागृत किया है। 

8) कार्तिकेय और मयूर :

कार्तिकेय का वाहन है मयूर, एक कथा के अनुसार यह वाहन उनको भगवान विष्णु से भेंट में मिला था, भगवान विष्णु ने कार्तिकेय की साधक क्षमताओं को देखकर उन्हें यह वाहन दिया था जिसका सांकेतिक अर्थ था कि अपने चंचल मन रूपी मयूर को कार्तिकेय ने साध लिया है। 

9) शनिदेव और कौआ :


मान्यताओं  के अनुसार कहा जाता है कि शनिदेव इंसान के कर्मों के हिसाब से वाहन पर विराजमान होते हैं जैसे, जब घोड़े और हाथी की सवारी करते हैं तो वह सुख-समृद्धि का प्रतीक होता है, जब शेर की सवारी करते हैं तो जग में प्रसिद्ध मिलती है, जब गधे की सवारी करते हैं तो तनाव आता है और जब कुते पर सवार होते हैं तो कई तरह की समस्‍याएं आती हैं, वैसे इनका वाहन कौआ है। 

10) इंद्र और हाथी :


इंद्रद्रेव वर्षा के देवता हैं और उनका वाहन है सबसे सुंदर हाथी ऐरावत जो उनकी प्रभुता को दर्शाता है। 

11) यमराज और भैंसा :


भैंसे को एक सामाजिक प्राणी माना जाता है और वह सब मिलकर एक दूसरे की रक्षा करते हैं, इस तरह वे अपनी और अपने परिवार की रक्षा करते हैं, उनका रूप भयानक होता है, अत: यमराज उसको अपने वाहन के तौर पर प्रयोग करते हैं। 

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