शुक्रवार, 27 अप्रैल 2018

सत्यनारायण व्रत कथा एवं महात्म्य ; Worship of Lord Satyanarayan




श्री सत्यनारायण व्रत कथा का आयोजन प्रत्येक मास की पूर्णिमा तिथि को किया जाता है, इसके अलावा किसी भी बृहस्पतिवार या संकट की घड़ी में भी यह व्रत किया जा सकता है  यह व्रत सत्य को अपने जीवन और आचरण में उतारने के लिए किया जाता है।इस सत्यव्रत को कोई मानव यदि अपने जीवन और आचरण में स्थापित करता है तो वह अपने भीतर भगवान विष्णु के गुणों को आत्मसात करता है, और सम्पूर्ण सुख समृद्धि व ऐश्वर्यों को प्राप्त होता हुआ जीवन के चार पुरुषार्थ धर्म-अर्थ, काम-मोक्ष को सिद्ध कर लेता है। घर में हो रहे क्लेशों से मुक्ति प्राप्ति का यह एक अद्वितीय व्रत है।

सत्यनारायण व्रत के पीछे की कथा

एक बार नारद मुनि ने पृथ्वी पर भ्रमण के दौरान मनुष्य को विभिन्न प्रकार के दुःख-दर्द,निर्धनता,रोगों एवं क्लेशों से जूझते हुए देखा। वे यह सब देख कर अत्यंत ही दुखी हुए और भगवान विष्णु के पास गए। नारद मुनि ने भगवान विष्णु से प्रार्थना कि वे मनुष्यों के दुखों को समाप्त करने का कोई उयाय बतायें। भगवान विष्णु ने उन्हें सत्यनारायण की कथा तथा उसके महत्त्व के बारे में बताया तथा कहा कि इस व्रत को भक्तिपूर्वक करने से  मनुष्य के सारे दुःख-दर्द,निर्धनता,रोग एवं क्लेश समाप्त हो जाएंगे।इसके बाद जब नारद मुनि पृथ्वी पर वापस गए तो उन्होंने सत्य नारायण के व्रत के बारे में सब मनुष्यों को बताया। और यह भी कहा कि इसे श्रद्धापूर्वक करने से इंसान की हर मनोकामना पूरी हो जायेगी।

सत्यनारायण भगवान की महिमा
भगवान सत्यनारायण विष्णु भगवान का ही एक रूप हैंभगवान सत्यनारायण का उल्लेख स्कन्द पुराण में भी मिलता है स्कन्द पुराण में भगवान विष्णु ने नारदजी को इस व्रत का महत्व बताया है कलयुग में सबसे सरल, प्रचलित और प्रभावशाली पूजा भगवान सत्यनारायण की ही मानी जाती है

सत्यनारायण व्रत कैसे किया जाता है?
ज्योतिष के जानकारों की मानें तो सत्यनारायण व्रत कथा के दो भाग हैं, पहले व्रत और पूजन और तत्पश्चात सत्यनारायण की कथाइसे  कलियुग का सबसे कल्याणकारी व्रत कहा गया है यह पूजा बेहद आसान होते हुए भी  विशेष हैयह व्रत कम से कम सामग्री में  तथा अत्यंत ही  सरल विधि से किया जा  सकता है, इस पूजा में गौरी-गणेश, नवग्रह और समस्त दिक्पाल भी शामिल हो जाते हैं, यह पूजा केले के पेड़ के नीचे करें या अपने घर के ब्रह्म स्थान पर करें, प्रसाद में पंजीरी, पंचामृत, फल और तुलसी दल सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हैं, यह ना भूलें

सत्यनारायण व्रत कैसे अन्य व्रत से अलग है?
सत्यनारायण व्रत  इसलिए अलग है क्योंकि इसे करने की विधि बहुत ही साधारण है। इसे करने के लिए किसी पंडित की जरुरत नहीं पड़ती है यह कोई भी कर सकता है। फिर चाहे वह किसी भी जाती का हो। इस व्रत में सिर्फ भगवान विष्णु की पूजा होती है। इसे आप कही भी करा सकते हैं यह स्थान मंदिर या घर भी हो सकता है। यह व्रत कलयुग के लिए ही बना है, जिसमें आपको किसी भी वेद या पुराणों को पढ़ने की जरुरत नहीं है। इस व्रत में यही बताया गया है कि मोक्ष की प्राप्ति इस युग में श्री नारायण का नाम लेने से ही होगी।

विधि
सर्वप्रथम भगवान सत्यनारायण के चित्र को एक स्वच्छ लाल वस्त्र के ऊपर स्थापित करें, तथा उनके दोनों ओर केले के पत्तों या खम्भों को लगायें, भगवान के विग्रह पर माल्यार्पण करें, गौरी-गणेश एवं कलश की स्थापना करें, कुमकुम और अक्षत से बारी-बारी सभी विग्रहों पर तिलक करें तथा पंचामृत हेतु भगवान शालिग्राम की भी स्थापना करें, दीपक, धूप एवं अगरबत्ती प्रज्ज्वलित करें, भगवान को केले, दही (शक्कर तथा केसर मिश्रित) तथा गेंहू के आटे से बनायीं गयी पंजीरी (जिसमे तुलसीदल का होना अनिवार्य है) का भोग लगायें, उसके बाद परिवार के सारे सदस्य बैठकर श्री सत्यनारायण कथा का श्रवण करें  तथा भगवान शालिग्राम का पंचामृत से अभिषेक करें, अंत में भगवान की आरती करें और आचमन के बाद भोग लगाए गए प्रसाद को सभी ग्रहण कर के व्रत का उद्यापन करें, जीवन में हर तरह के कल्याण के लिए सत्यनारायण भगवान का व्रत, कथा और पूजा सबसे उत्तम है।

कैसे पूरी होंगी विशेष मनोकामनाएं?
अगर आपके मन में भी कोई विशेष कामना है तो भी सत्यनाराय़ण की कृपा से पूरी हो सकती है,नियमित रूप से हर महीने की पूर्णिमा को सत्यनारायण भगवान की पूजा करें, इससे आपकी विशेष मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।



विशेष उद्देश्यों के लिए सत्यनारायण पूजन का महत्व
ज्योतिष के जानकारों की मानें तो सनातन सत्यरूपी विष्णु भगवान कलियुग में अलग-अलग रूप में आकर लोगों को मनवांछित फल देंगे, इंसानों के कल्याण के लिए ही श्री हरि ने सत्यनारायण रूप लिया। विशेष उद्देश्यों के लिए सत्यनारायण भगवान की पूजा का क्या महत्व है? आइए जानें........ 
गृह शान्ति और सुख समृद्धि के लिए इनकी पूजा विशेष लाभ देती है, 
ये पूजा शीघ्र विवाह के लिए और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए भी लाभकारी है, ये पूजा संतान के जन्म के अवसर पर और संतान से जुड़े अनुष्ठानों पर बहुत लाभकारी है, विवाह के पहले और बाद में सत्यनारायण की पूजा बहुत शुभ फल देती है, आयु रक्षा तथा सेहत से जुड़ी समस्याओं में इस पूजा से विशेष लाभ होता है।

तो मित्रों यदि आप या आपके कोई रिश्तेदार या मित्र भी अपने जीवन में बहुत से समस्याओं से जूझ रहे हैं तो भक्तिपूर्वक हर पूर्णिमा को परिवार के सभी सदस्यों के साथ मिलकर भगवान सत्यनारायण की कथा एवं व्रत का आयोजन करें निश्चित ही आपके जीवन से सभी कठिनाइयों एवं दुखों का नाश होगा तथा आप सुख एवं समृद्धि को प्राप्त करेंगे।

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

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