मंगलवार, 10 अप्रैल 2018

लाभकारी बेल या बिल्व ; benefits of wood apple




बेल के पेड़ का धार्मिक महत्व के साथ साथ उपचारात्मक महत्व भी है. भारत में इस फल के पेड़ को बिल्व, श्री फल, सदाफल, शाण्डिल्रू आदि नामों से भी जाना जाता है.


रोगों को नष्ट करने की अदभुत क्षमता के कारण ही इसे बिल्व कहा जाता है. इसका सूखा गूदा बेलगिरी एवं इसका गूदा या मज्जा बल्वकर्कटी कहलाता है.


बेल के फल का खोल हल्का हरे रंग का एवंग चिकना होता है. पक जाने पर यह सुनहरे पीले रंग में परिवर्तित हो जाता है जिसे तोड़ने पर बड़ा ही मीठा, रेशेदार एवंग सुगंधित गूदा निकलता है.


बेल से धार्मिक मान्यताएँ भी जुड़ी हैं. हिंदू इसे महादेव का ही रूप मानते हैं. हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि बेल की जड़ में भगवान शिव का वास होता है.

           

इसके तीन पत्तों की डाली बिल्वपत्र को लोग साक्षात् त्रिदेव का स्वरुप मानते हैं. इसके पाँच पत्तों की डाली को लोग तीन पत्तों से भी ज्यादा शुभ मानते हैं और पूजा के लिए इसे इकट्ठा करना चाहते हैं. धर्मग्रंथों में भी पाँच पत्तों की डाली की महत्ता का वर्णन है.

बेल का सेवन स्वास्थ्य के लिए काफी गुणकारी होता है

               

डायबटीज के रोगियों के लिए बेल बहुत ही ज्यादा लाभप्रद होता है. इसकी पत्तियों को पीस कर दिन में दो बार इसका सेवन करने से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है.

बेल का सेवन कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखने में काफी मददगार साबित होता है. इस प्रकार यह कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से होनेवाली बीमारियों को भी रोकता है.

महिलाएँ यदि नियमित रूप से बेल का रस पीयें तो उनमें भविष्य में ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना काफी कम होगी.

बेल के रस में गुनगुने पानी एवं शहद डाल कर नियमित सेवन करने से खून साफ हो जाता है.

लू लगने पर इसके पत्तों को मेहंदी की तरह पैर के तलवों, सिर, हाथ, छाती, आदि पर मालिश करने से इससे तुरंत राहत मिल जाती है.
बेल के रस में थोड़ी मात्रा में घी मिलाकर उसका नियमित सेवन करने पर दिल से जुड़ी बीमारियों से बचाव होता है.

आयुर्वेद में बेल के रस का डायरिया में होनेवाले फायदे का वर्णन है. इसे चीनी या गुड़ के साथ पीने से डायरिया से बचाव हो जाता है.

इतने सारे स्वास्थवर्धक गुणकारी बेल का आप शर्बत और मुरब्बा बनाकर आनंद ले चुके होंगे.

आज आपके लिए खासतौर से तैयार ये स्वादिष्ट और स्वास्थवर्धक बेल बर्फी....


सामग्री :
एक किलो बेल का ताज़ा गूदा
आधा किलो चीनी
150
ग्राम देशी घी
इलायची पावडर एक छोटा चम्मच
काजू पिस्ता आदि मेवे इच्छानुसार
100
ग्राम ताज़ा मावा (यदि मिलाना चाहें)
50
ग्राम काजू के टुकड़े सजाने के लिए
विधि:
बेल को तोड़ कर गूदा निकाल लें और बीज निकाल दें.
अब एक भारी पेंदे की कड़ाही गैस पर गर्म करके पर इसमे मावा डाल कर भून लें , हल्का सुनहरा होने पर उतार कर ठंडा होने के लिए रख दें, अब घी डाल कर गरम करें, फिर इसमें बेल का गूदा डालें, थोड़ा भून लें जब घी और बेल का गूदा अच्छी तरह से एकसार हो जाए भुनने की महक आने लगे तब चीनी और मावा डाल दें और अच्छी तरह से चलाते रहें, जब चीनी घुल कर एकदम गाढ़ी होने लगे तब इलायची पावडर मिला दें मेवे मिला दें, जमने के स्थिति मे आ जाए तब एक घी लगी थाली मे पूरा मिश्रण पलट कर किसी लकड़ी के चम्मच की सहायता से फैला दें,
थोड़ा ठंडा होने पर बर्फ़ी को तेज़ चाकू से मनचाहे आकार में काट दें परंतु थाली मे ही रहने दें. फिर कटे हुए टुकड़ों पर काजू पिस्ता चिपका दें,
आपकी स्वादिष्ट और स्वास्थवर्धक बेल बर्फी को फ्रिज मे रखिए, ठंडा होने पर खाएं और अपने मेहमानों को भी खिलाएँ……….

बेल का शर्बत और बेल का मुरब्बा से भी एक क़दम आगे..


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