रविवार, 22 अप्रैल 2018

फलों का राजा आम ; Mango the king of all fruits


आम का नाम सुनते ही आँखों के आगे पीले, हरे,केसरिया और लाल रंग के खट्टे मीठे फल की तस्वीरें एक के बाद एक किसी फिल्म की रील की भांति घूमने लगती है, आज हम आपको आम की ऐसी ही दस लोकप्रिय किस्मों के बारे में बताएँगे, जो किसी के भी मुंह में पानी ला दे........तो चलिए चलते हैं आम के इस खट्टे-मीठे सफ़र पे। 

सफेदा, बादाम या बंगनपल्ली (अप्रैल से जून)

यह सर्व सुलभ किस्म है, जो आम के मौसम की शुरुआत से ही बाजारों में छा जाती है, मूल रूप से आंध्रप्रदेश की इस किस्म को पूरे भारत के बाजारों में देखा जा सकता है, इसका रंग सुनहरा पीला होता है तथा स्वाद खट्टा होता है, इसमें रेशा अपेक्षाकृत कम होता है। 

पैरी (मई से जून)

यह भी आमों की शुरुआती किस्म है, जो मौसम की दस्तक के साथ ही बाजारों में आ जाती है, इसकी त्वचा लाल और पीली होती है, यह गुजरात में केसर आम के विकल्प के रूप में आमरस बनाने में बहुतायत से प्रयोग में लिया जाता है, ये अपेक्षाकृत जल्दी ख़राब होने लगते हैं, इसलिए इन्हें जल्द से जल्द उपयोग में ले लेना चाहिए। 

नीलम या सुंदरी (मई से जुलाई)
इसकी सुगंध बहुत ही विशिष्ट होती है, यह लगभग पूरे सीजन में उपलब्ध रहता है, लेकिन सबसे स्वादिष्ट खेप जून में मानसून की दस्तक के साथ ही पहुँचती है, यह हैदराबाद के लोगों की सबसे पसंदीदा किस्म है, हालाँकि यह पूरे देश में भी उत्पादित होते हैं, ये अन्य किस्मों की अपेक्षा थोड़े छोटे होते हैं तथा इनकी त्वचा लाल, सुनहरी तथा कुछ-कुछ हरी होती है। 

अल्फ़ान्सो या हापूस (मई से जून) 
छोटे तथा गोलाकार हापूस आमों के बारे में कौन नहीं जानता ? इन्हें आमों का राजा कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी, मूल रूप से महाराष्ट्र के "रत्नागिरी" जिले की यह किस्म गुजरात, कर्नाटक एवं मध्यप्रदेश के कुछ हिस्सों में भी उगाई  जाती है, किन्तु अब हापूस नाम का पेटेंट करा दिए जाने के बाद अन्य राज्य के उत्पादक इस नाम का प्रयोग नहीं कर सकेंगे, यह भारतीय आमों की सबसे महँगी किस्म है, इसे काफी मात्रा में बाहर के मुल्कों में निर्यात भी किया जाता है। 

हिमसागर (मई) 
मूल रूप से बंगाल की यह किस्म सबसे कम समय के लिए बाजारों में उपलब्ध होती है, वैसे तो बंगाल को उसकी मिठाइयों के लिए अधिक जाना जाता है, लेकिन जब कोई बंगाली हिमसागर की कसम खाता है, तो आश्चर्य होता है, कम रेशों और गूदे से भरपूर ये किस्म सिर्फ चार हफ़्तों के लिए बाजारों में आती है, तो इसे खाने का ज्यादा इंतज़ार मत कीजिये। 

दशहरी (जून से जुलाई)
बच्चों द्वारा इसे प्यार से "चूसने वाला आम" कहा जाता है, यह स्वाद में एकदम मीठा होता है, सचमुच इसके उपरी हिस्से की जगह पर छेद करके इसके मीठे रस और गूदे को चूसने में अत्यंत आनंद की अनुभूति होती है, चूसने से पहले इसे धीरे-धीरे दबाकर नरम कर लेना चाहिए, ये मेरी सबसे पसंदीदा किस्म है आम की, मूल रूप से उत्तरप्रदेश की यह किस्म लखनऊ के करीब "मलीहाबाद" नामक स्थान से आती है। 

तोतापुरी (जून से जुलाई) 
एक तोते की तरह दिखने वाले इस आम को पहचानना सबसे आसान है, यह तमिलनाडु, कर्नाटक,आंध्रप्रदेश एवं तेलंगाना में बहुतायत से उगाया जाता है, इसमें गूदा कम होता है तथा यह अपेक्षाकृत कम मीठा होता है। 

केसर (जून से जुलाई) 
यदि आपका घर आम की खुशबु से महक रहा है तो यक़ीनन आपके घर में केसर आम है, इसकी सुगंध ही इसकी सबसे बड़ी विशेषता है, इसके गूदे का रंग केसर की तरह होने के कारण इसका यह नाम पड़ा, इसका बाहरी आवरण अन्य किस्मों की तरह हरे रंग का होता है, गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र की इस किस्म का प्रयोग आमरस बनाने में अधिक किया जाता है, हापूस के बाद ये सर्वाधिक पसंद की जाने वाली किस्म है। 

चौसा या चौरसा (जुलाई से अगस्त)
जब आपको लगता है, कि अब आम का मौसम खत्म होने वाला है तब आम की इस किस्म से बाजार भर जाते हैं, और आम की दुनिया में एक बार फिर से रौनक लौट आती है, उत्तर भारत और बिहार में बेहद लोकप्रिय इस किस्म में बहुत ही मीठा और रसीला गूदा भरा होता है जबकि इसकी बहरी त्वचा पीली और चमकदार होती है, इसकी सबसे अच्छी किस्म पाकिस्तान से आती है और दुनिया भर में निर्यात की जाती है। 

लंगड़ा (जुलाई से अगस्त)
यह आज भी कई लोगों के लिए रहस्य है की आम की इस किस्म को लंगड़ा क्यों कहा जाता है, शायद इसलिए क्योंकि इस किस्म का मूल पेड़ जो आज भी वाराणसी में मौजूद है उसका मालिक एक लंगड़ा व्यक्ति था, खैर नाम में क्या रखा है इस रेशेदार आम को पश्चिम बंगाल के साथ-साथ, हरियाणा, उत्तरप्रदेश और बिहार में बहुत लोकप्रियता मिली है, इसका रेशेदार गूदा एकदम केसरिया तथा बाहय आवरण एकदम हरा होता है। 

दोस्तों स्वाद के साथ-साथ आम में कई औषधीय गुण भी मौजूद होते है जिनसे कई रोगों से बचाव होता है।  
1. कैंसर से बचाव


आम में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट कोलोन कैंसर, ल्यूकेमिया और प्रोस्टेट कैंसर से बचाव में फायदेमंद है. इसमें क्यूर्सेटिन, एस्ट्रागालिन और फिसेटिन जैसे ऐसे कई तत्व होते हैं जो कैंसर से बचाव करने में मददगार होते हैं। 

2. आंखें रहती हैं चमकदार


आम में विटामिन ए भरपूर होता है, जो आंखों के लिए वरदान है, इससे आंखों की रौशनी बनी रहती है। 

3. कोलेस्ट्रॉल नियमित रखने में


आम में फाइबर और विटामिन सी खूब होता है, इससे बैड कोलेस्ट्रॉल संतुलन बनाने में मदद मिलती है। 

4. त्वचा के लिए है फायदेमंद

आम के गुदे का पैक लगाने या फिर उसे चेहरे पर मलने से चेहरे पर निखार आता है और विटामिन सी संक्रमण से भी बचाव करता है। 

5. पाचन क्रिया को ठीक रखने में


आम में ऐसे कई एंजाइम्स होते हैं जो प्रोटीन को तोड़ने का काम करते हैं. इससे भोजन जल्दी पच जाता है. साथ ही इसमें उपस्थित साइर्टिक एसिड, टरटैरिक एसिड शरीर के भीतर क्षारीय तत्वों को संतुलित बनाए रखता है। 


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तो मित्रों कैसी लगी यह आम की बेहद खास जानकारी आशा करता हूँ आपके लिए ये जानकारी लाभदायक हो,तो अब जब भी आप बाज़ार आम लेने जाएँ तो उसे देख कर उसकी किस्म को तो जरुर पहचान जायेंगे,आपको कौनसी किस्म का आम सर्वाधिक पसंद है और क्यों ,कृपया अपने विचार हमारे comment बॉक्स में जरुर डालें एवं इस post को ज्यादा से ज्यादा like एवं share जरुर करें। 




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