रविवार, 29 अप्रैल 2018

सहज योग ; Sahaj Yog



हज योग का शाब्दिक अर्थ है कि सह=आपके साथ और ज=जन्मा हुआ तथा योग से तात्पर्य मिलना या जुड़ना अत: वह तरीका जिससे मनुष्य का सम्बन्ध (योग) परमात्मा से हो सकता है सहजयोग कहलाता है , मानव शरीर के अन्दर  जन्म से ही एक सूक्ष्म तन्त्र अदृश्य  विद्यमान होता है जिसे आध्यात्मिक भाषा में सात चक्र और इड़ा, पिंगला, सुशुम्ना नाड़ियों के नाम से जाना जाता है इसके साथ परमात्मा की एक शक्ति कुण्डलिनी नाम से मानव शरीर में स्थित होती है यह कुण्डलिनी शक्ति बच्चा जब माँ के गर्भ में होता है और जब भ्रूण दो से ढाई महीने (६० से ७५ दिन) का होता है तब यह शिशु के तालू भाग (limbic area) में प्रवेश करती है और मस्तिष्क  में अपने प्रभाव को सक्रिय करते हुए रीढ़ कि हड्डी में मेरुरज्जु में होकर नीचे उतरती है जिससे ह्रदय में धडकन शुरू हो जाती है इस तरह यह कार्य परमात्मा का एक जीवंत कार्य होता है जिसे डॉक्टर बच्चे में एनर्जी आना बोलते हैं इसके बाद यह शक्ति रीढ़ कि हड्डी के अंतिम छोर तिकोनी हड्डी (sacrum bone) में जाकर साढ़े तीन कुंडल (लपेटे) में जाकर स्थित हो जाती है इसीलिए इस शक्ति को कुण्डलिनी कहते  हैं यह शक्ति प्रत्येक मानव में सुप्तावस्था में होती है जो मनुष्य या अवतार इस शक्ति के जागरण का अधिकारी है वह यह कुण्डलिनी शक्ति जागृत करता है जिससे मानव को आत्मसाक्षात्कार मिलता है तब यह कुण्डलिनी शक्ति जागृत हो जाती है और सातों चक्रों से गुजरती हुई सहस्त्रार चक्र पर पहुँचती है तब मानव के सिर के तालू भाग में और हथेलियों में ठण्डी -ठण्डी लहरियां महसूस होती है जिसे हिन्दू धर्म में परम चैतन्य (Vaibrations), इस्लाम में रूहानी,बाइबिल में कूल ब्रीज ऑफ़ द होली घोस्ट कहा जाता है इस तरह सभी धर्म ग्रंथो में वर्णित आत्मसाक्षात्कार को सहजयोग से प्राप्त किया जा सकता है
अब तक धरती पर जो भी सच्चे गुरु ,सूफी, संत, पीर पैगम्बर और अवतार आये वे सहजयोग से भलीभांति परिचित थे वे सब परमात्मा से योग का एकमेव रास्ता सहजयोग दुनिया को बताना चाहते थे परन्तु उस समय साधारण मानव समाज उन बातों को समझ नहीं पाया और उनके जाने के बाद अलग अलग धर्म सम्प्रदाय बनाकर मानव आपस में लड़ने लग गये संत कबीर ने जीवन भर सहजयोग का ही वर्णन किया है परन्तु वे किसी को आत्मसाक्षात्कार दे नहीं पाये



धरती पर मानव उत्क्रांति में समय समय पर किये गये परमात्मा के कार्य में अनेक गुरु ,सूफी, संत, पीर पैगम्बर और अवतारों ने धरती पर जन्म लिया और मानव जाति को सहजयोग का ज्ञान दिया अब तक इनके किये गये अधूरे आध्यात्मिक कार्यो को आगे बढ़ाते हुए इसको सार्वजनिक करने के लिए साक्षात् आदिशक्ति का अवतरण निर्मला श्रीवास्तव (श्री माताजी निर्मला देवी) रूप में हुआ जो आधुनिक युग में सहजयोग संस्थापिका है जिन्होंने दुर्लभ आत्मसाक्षात्कार को सार्वजनिक और आसान बनाकर संसार में प्रदान किया जिसका आज विश्व के १७० देशों के सभी धर्मों के लोग लाभ ले रहे हैं
आधुनिक युग में श्री माताजी निर्मला देवी ही है जिसने संसार के सभी धर्मो को गहराई से समझाते हुए सबमे एक ही सत्यता को स्पष्ट किया है और सभी धर्मो को एक सूत्र में बांधने का प्रयास किया है

सहज योग क्‍या है : 

सहज योग में आसान मुद्रा में बैठकर मेडिटेशन किया जाता है। इसका अभ्यास करने वाले लोगों को ध्‍यान के दौरान सिर से लेकर हाथों तक एक ठंडी हवा का एहसास होता है। सहज योग केवल एक क्रिया का नाम नहीं हैं, बल्कि यह एक तकनीक भी है।


कैसे करें सहज योग की शुरूआत :


माताजी श्री निर्मला देवी द्वारा विकसित सहज योग मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होता है। यह मुख्य रुप से आत्म बोध का प्रचार है जिससे कुंडलिनी जागृत होकर व्यक्ति के व्यक्तित्व में निखार लाती है। सहज योग में कुंडलिनी जागरण व निर्विचार समाधि, मानसिक शांति से लोगों को आत्मबोध होता है और अपने आप को जानने में मदद मिलती है। माताजी श्री निर्मला देवी द्वारा विकसित इस योग को मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के लिहाज से बेहद फायदेमंद माना जाता है।


क्‍या कहते हैं शोध :

यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी मेडिकल स्कूल में मनोचिकित्सा विभाग के वरिष्ठ व्याख्याता रमेश मनोचा ने सहज योग पर किए शोध में पाया कि सामान्य लोगों की तुलना में उन लोगों की मानसिक और शारीरिक सेहत ज्यादा अच्छी थी, जिन्होंने कम से कम दो वर्षों तक सहज योग को आजमाया था।

 

सामान्य स्वास्थ्य के लिए :

चिकित्सकों ने सहज योग के अन्य प्रभावों के बारे में भी बताया है। उनके अनुसार योग को करने से लोगों में शारीरिक व मानसिक तनाव से मुक्ति व आराम मिलता है। साथ ही शरीर में होने वाली बीमारियों को जड़ को खत्म किया जा सकता है।


बीमारियों में लाभकारी :


शोधकर्ताओं के मुताबिक मौन की यह प्रक्रिया कायिक और मानसिक स्वास्थ्य के कई रास्ते खोलती है। सहज योग के नियमित अभ्यास से कैंसर, ब्लड प्रेशर, हाइपर टेंशन और हृदय के रोगियों को भी लाभ हुआ है।


विद्यार्थियों के लिए फायदेमंद :

खासकर विद्यार्थियों के लिए तो योग अमृत के समान है। जो विद्यार्थी योग को अपने जीवन में नियमित रूप से शामिल करते हैं वे न केवल पढ़ाई में अव्वल आते रहते हैं, साथ ही अन्य गतिविधियों में भी उनका कोई मुकाबला नहीं रहता।


तनाव से मुक्ति :

सहज योग से दिमाग को शक्ति मिलती है। इस योग से व्यक्ति को आसपास के तनाव, दिनभर की थकान व अपने गुस्से को नियंत्रित करने में आसानी होती है। जिससे नींद में भी सुधार होता है। 


एकाग्रता :


सहज योग से लोगों में एकाग्रता बढ़ती है और जो वे जीवन में हासिल करना चाहते है आसानी से कर सकते हैं। इसलिए नियमित रूप से अपनी दिनचर्या में सहज योग को शमिल करें। 


संचार कौशल :

सहज योग के नियमित अभ्यास से संचार कौशल में सुधार होता है जिससे आप लोगों से अच्छी तरह से पेश आते हैं। साथ ही दूसरों के साथ बेहतर रिश्ते जोड़ने में मदद मिलती है।

बुरी आदतों व लत से छुटकारा :

किसी भी तरह की बुरी आदत व लत से जैसे धूम्रपान, मदिरा आदि का सेवन मानसिक और शारीरिक सेहत के लिए नुकसानदेह होता है। इन आदतों को छोड़ने के लिए सहज योग जैसी विधियां ज्यादा कारगर साबित होती हैं।


तो मित्रों यह तो थी सहज योग से जुड़ी कुछ जानकारियां यदि आप सहज योग के बारे में और अधिक जानना चाहते हैं या आप इससे से जुड़ना चाहते हैं तो आप अपने नजदीकी सहज योग सेंटर से संपर्क कर सकते हैं, सहज योग की वेब साईट https://www.sahajayoga.org.in से आप सारी जानकारियाँ प्राप्त कर सकते हैं, यह जानकारी आप अपने करीबियों तथा मित्रों से share करके उन्हें भी लाभ पहुंचा सकते हैं, तो जरुर share करें ...............

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